सोमवार, 1 अक्तूबर 2018

अज़ब हालात है मेरे

अज़ब हालात है मेरे ,
कि हालत बेजुबानी है,
मुस्कुराहट है चेहरे पर , 
तो आँखों मे क्यूँ पानी है ?

रिमझिम ये जो सावन की , 
बरसता ये जो पानी है,
बादल यूँ जो है ग़रजे ,
ये सारी इनकी कारस्तानी है, 
धमक इनकी सुनकर ,
अपने-आप को रोकू मैं कैसे ?
चमक बिखरे जो इनकी तो ,
याद उसकी भी आनी है ,

जमीं क्यूँ थरथराती है , 
हवा मे शोर है कैसा ?
गज़ब क्यूँ है ये बेचैनी ,
अज़ब माहौल है कैसा ?
सांसे जम सी जाती है ,
क्यूँ भरी जवानी मे?
मिलन क्यूँ नहीं होता है ,
किसी भी प्रेम-कहानी मे ?


हृदय को तौल बैठा हूँ ,
मैं दुनिया की तराजू मे,
अब देखो जीत है किसकी ,
या मात मुझको अब खानी है ,
यूँ होकर पत्थर-दिल  कैसे ,
मैं उससे रिस्ता तोड़ कर आया , 
कि तोडा दिल उसका यूँ 
मैं राहें  मोड़ कर आया, 
अब तक याद है मुझको,
उसका खिलखिलाता मासूम सा चेहरा ,
कैसे आखरी मर्तबा उसपर, 
मैं आंसू छोड़ कर आया,

हाथ यूँ कपकपायें थे ,
झील उतरी थी आँखों मे ,
लब यूँ थरथराये थे , 
सांस उलझी थी सांसो मे। 
सुधबुध खोकर वो मुझसे ,
आकर यूँ थी लिपटी,
चूमे गाल थे उसने ,
कि पलकें यूँ भिगोई थी
टुटा बांध हो कोई ,
या बरसता हो कोई झरना ,
आज बरसे ये बदल जो ,
तो नींद मुझको ना आनी है ,
सांसो मे है उसकी जो गर्मी ,
वो गर्मी अब ना जानी है,

दिल थाम कर बैठा हूँ,
अब इसी उम्मीद मे,
कि एक दिन आएगा ऐसा , 
ये धरती थम सी जाएगी ,
ये सूरज मंद भी होगा ,
ये श्रष्टी जम सी जाएगी ,
उठेगी लहर सागर मे , 
ये चन्द्रमा तप्त भी होगा ,
छूटगी ज्वार की धारा , 
ये तारे बुझ से जाएंगे, 

नए नियम होंगे सब ,
नया ज़हान ये होगा , 
टूटेंगे बंधन ये सारे , 
नया आसमान ये होगा,
नई होगी ये फिजा , 
कि भवरे गीत गाएंगे,
यहां नहीं तो वहां ,
दो प्रेमी आखिर मिल ही जायँगे,,,

*** अंकित चौधरी ***


20 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत ही सुन्दर और भावपूर्ण रचना 🙏

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  2. आपकी लिखी रचना आज "पांच लिंकों का आनन्द में" बुधवार 3 अक्टूबर 2018 को साझा की गई है......... http://halchalwith5links.blogspot.in/ पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!



    .

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    1. आदरणीय मेरी रचना को सम्मान देने के लिए सादर धन्यवाद..

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  3. बहुत ही खूबसूरत छन्द बुने हैं इस लाजवाब रचना के ... प्रेम जैसे छलक छलक रहा है हर पंक्ति से ... बेहतरीन रचना ...

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    1. आदरणीय रचना सराहने के लिए आभार ,जीवन का मूल सार ही प्रेम है...

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  4. अंकित जी
    आपका साहित्य सृजन अत्यंत खुबसुरत है.
    मन मोह लेता है.
    आपके ब्लॉग पर पहली बार आना हुआ और वाकई ख़ुशी हुई इतनी सुंदर रचना पढकर. लिखते रहिये.
    समय मिले तो आइयेगा मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत रहेगा: रंगसाज़

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    1. सर्वप्रथम आपका स्वागत है,रचनाएँ पसंद करने के लिए आभार...

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  5. बहुत सुंदर भाव पिरोया है आपने अंकित जी।
    सुंदर सृजन की बधाई स्वीकार करें।

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  6. बहुत ही उम्दा लेखन,हृदयस्पर्शी रचना ।

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  7. बहुत ही भावपूर्ण एवं हृदयस्पर्शी रचना....

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