मुहब्बत का पैगाम पसंद है,
तेरे शहर में,
आज-कल हवा कुछ बदली बदली है,
शायद...
अफवाहों का बाजार गर्म है,
तेरे शहर में,
कुछ मेहमां आए थे चंद रोज़ के लिए,
जाते ही नहीं...
शायद चांद का दीदार पसंद है,
तेरे शहर में,
हया का पर्दा डाला है उसने,
रुखसार पर...
शायद, नजरों से वार पसंद है,
तेरे शहर में,
हल्की सर्द हवाएं चलती रहीं गर्म मौसम में,
शायद, तड़पाने का व्यापार पसंद है,
तेरे शहर में,
वह मुस्कुराकर बेरुखी से पलटे थे,
जाते हुए...
शायद, दिल चीर जाने का व्यवहार पसंद है,
तेरे शहर में।
## अंकित चौधरी ##
Great
जवाब देंहटाएंसाभार धन्यवाद 🙏
हटाएंजी नमस्ते ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (०६-०८-२०२३) को 'क्यूँ परेशां है ये नज़र '(चर्चा अंक-४६७५ ) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर
धन्यवाद 🙏
हटाएंकुछ मेहमां आए थे चंद रोज़ के लिए,
जवाब देंहटाएंजाते ही नहीं...
शायद चांद का दीदार पसंद है,
तेरे शहर में,
वाह!!!
सादर धन्यवाद 🙏
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