गुरुवार, 20 सितंबर 2018

ग़र हो इजाजत

ग़र हो इजाजत तो रुखसत से पहले,
मैं दिल को यूँ खोलू ,
कि पलकें भिगोलू , 
लबो पर जो तेरी,
ये  जो तन्हाइयाँ है ,
उनको मैं अपनी सांसो मे घोलू ,
कुछ देर ठहरु ,कि दिल को ट्टोलू ,
दुनिया मे हमेशा चला हूँ मे तन्हां ,
कि कुछ देर तो मे तेरे संग होलू ,
गर हो इजाजत……….

आँखें सजल है ,कि दिल ये विकल है , 
मन की ये चाहत ,लबो की थरथराहट ,
क्यों है ,कहाँ है ,मैं आहट तो लेलू  ,
रुसवाईया जो है, तेरे नयन मे,
थोड़ी हिम्मत जुटा कर,  मैं अपने पर लेलू ,
गर हो इजाजत……….


मैं  जुल्फें सवारु,कि तुझको निहारु,
फिर से दोबारा ,मैं दिल को यूँ हारु,
तस्वीर तेरी जो मिट सी गई है ,
उसको सवारु कि दिल मे बसालू,
रक्त के ये बुँदे जो जम सी गई है,
एक बार फिर इनको मैं तप्त बनालू,
गर हो इजाजत…….

काश ये मौसम मेरा साथ दे दे ,
कि करुणा की बारिश मे मुझको भिगोदे,
चमके यूँ बिजली करे गड़गड़ाहट ,
कि दब जाये उसमे मेरे दिल की आहट,

मिट्टी का ढेर अब लगे जग ये सारा ,
तैरा बहुत पर मिला ना किनारा ,
जन्नत की मुझको अब परवहा नहीं है ,
मैं वहाँ नहीं हूँ ,तू जहाँ नहीं है ,
है अब ये हसरत के संग तेरे होलू ,
दूं मैं सहारा , कि तेरे संग रोलू ,

ग़र हो इजाज़त, तो रुखसत से पहले,
मैं दिल को यूँ खोलू कि पलकें भिगोलू ,,,

 *** अंकित चौधरी ***

20 टिप्‍पणियां:

  1. तस्वीर तेरी जो मिट सी गई है ,
    उसको सवारू के दिल मे बसालु,
    रक्त के ये बुँदे जो जम सी गई है,
    एक बार फिर इनको में तप्त बना लु।
    गर हो इजाजत…….वाह लाजबाव रचना 👌

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  2. मिट्टी का ढेर लगे जग ये सारा
    तैरा बहुत मिला न किनारा ...
    बहुत ही सुन्दर 👌👌

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  3. बहुत सुंदर , हृदयस्पर्शी रचना है अंकित जी | अगर अन्यथा ना लें तो कृपया अपनी टंकण अशुद्धियों पर जरुर ध्यान दें | वैसे आप अच्छा लिख रहे हैं |

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    1. मुझे बहुत अच्छा लगेगा। कमियां पता चलेगी तभी तो आगे सुधार कर पाउगा।

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  4. शानदार हैं। बस वाह निकल पड़ता हैं

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    1. प्रिय अंकित कमियां खास नहीं बस कुछ अशुद्धियाँ हैं जैसे ---
      जुल्फे सवारु के तुझको निहारु,--- में जुल्फें सवारूँ के तुझको निहारूं- आप समझ गये होंगे बस बिंदी और चन्द्र बिन्दू की कमी थी -- और यु हारू नही बल्कि यूं हारूं | आशा है अन्यथा नहीं लेगें | जब मैं यहाँ नई थी तो सबने मेरी त्रुटियों की ओर बहुत ध्यान दिलाया |अब भी कई बार गलती हो जाती है | सस्नेह --

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    2. आभार आपका सादर, आशा है आप भविष्य मे भी यूं ही मेरा मार्गदर्शन करती रहेंगी...

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  5. मिट्टी का ढेर लगे जग ये सारा
    तैरा बहुत मिला न किनारा ...
    ,,,,,,,,,बहुत ही सुन्दर

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  6. हृदयस्पर्शी पंक्तियाँ 🤗🤗🤗

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