शायरी,गज़ल, कविता,कहानी,poetry writing
भौतिक जगत में उतर आए,
क्यों तुम प्रसिद्धि के पंख लगा कर?
लौट चलो प्रकृति की तरफ,
पावन, सुलभ चरण बढ़ाकर।
अलौकिक सौंदर्य खोज रहा,
तुम्हें पलकें बिछाकर।
खो जाओ तुम भी उसमें,
जीवन की चाह भुला कर।