आपस में है प्यार बहुत,
बस प्यार जताना भूल गए,
चाह बहुत संग जीने की ,
बस साथ निभाना भूल गए,
आह एक अकुलाई सी,
जब देखी आँख पथराई सी,
एक टीस उठी जब चोट लगी,
बस दर्द बताना भूल गए,
आपस में है प्यार बहुत,
बस प्यार जताना भूल गए,
चाह बहुत संग जीने की ,
बस साथ निभाना भूल गए,
आह एक अकुलाई सी,
जब देखी आँख पथराई सी,
एक टीस उठी जब चोट लगी,
बस दर्द बताना भूल गए,
रात घटाएँ आई थी घिरकर,
हँवाओ मे अज़ब शोर था ।
वो आकर लौट गए दर से मेरे,
हम समझे कि कोई ओर था।
अफ़साना बन भी जाता कोई,
कुछ मेरी बेख्याली शायद,
कुछ रुसवाई का दौर था।।