गुरुवार, 27 सितंबर 2018

नारी तेरी यही कहानी


हाय नारी तेरी यही कहानी ,
चेहरे पर हँसी नयनो मे पानी,   
कर करे सहज ही वंदन ,
हृदय में टीस उठे ,
हिया करे करुण क्रंदन,

सोमवार, 24 सितंबर 2018

झील के किनारे


मैं जा रहा था
उस दिन शाम के समय टहलता ,
कुछ सोचता हुआ ,
उस झील के किनारे -किनारे,
सोच रहा था,
जिंदगी के फलसफे के बारे मे,

जो अपनी इच्छा से नचाता है
इंसान को  कठपुतली बनाता है ,
कभी  हसाता है , 
कभी रुलाता है ,

शनिवार, 22 सितंबर 2018

ग़र अज़ीज हो मेरे



रात घटाए आई थी घिर कर ,
हवाओं  मे अजब शोर था,
वो आकर लौट गए दर से मेरे ,
हम समझे के कोई और था ,
अफसाना बन भी जाता कोई,
कुछ मेरी बेख्याली ,
कुछ शायद रुसवाई का दौर था।

गुरुवार, 20 सितंबर 2018

ग़र हो इजाजत

ग़र हो इजाजत तो रुखसत से पहले,
मैं दिल को यूँ खोलू ,
कि पलकें भिगोलू , 
लबो पर जो तेरी,
ये  जो तन्हाइयाँ है ,

मंगलवार, 18 सितंबर 2018

सजदा किया करो

फिरका-परस्ती फैली है माहौल मे,

सम्हल कर रहा करो ,

खंजर है हर हाथ मे ,

बच के चला करो,

शुक्रवार, 14 सितंबर 2018

मुख़्तसर कहो इकरार क्या है


      • मुख़्तसर कहो इकरार क्या है
मुख़्तसर कहो इकरार क्या है?

फकीर की फकीरी का कीमतें-बाजार क्या है?

बदलने से जुब्बा-ओ दस्तार ख्यालात नहीं बदलते,

मसनद मिले भी तो क्या हालात नहीं बदलते ,

भटकते रहो दर बदर , भटको !

बच के निकल जाने से सवालात नहीं बदलते ,


बुधवार, 12 सितंबर 2018

दिल थाम कर बैठो

      • दिल थाम कर बैठो            

दिल थाम कर बैठो ,
अभी भयानक मंजर कहाँ देखा है ,
बहता रक्त का झरना ,
वो लाल समंदर  कहाँ देखा है,
बरसता ये जो पानी है
भीगना ना तुम इसमें ,
अभी तुमने बारिश मे उठता,
तेजाब का बवंडर कहाँ देखा है,

बुधवार, 5 सितंबर 2018

हैरान हूँ मैं, परेशान हूँ मैं

हैरान हूँ मैं , परेशान हूँ मैं,
दर्द को शब्द कहाँ से दूँ , बेजुबान हूँ मैं ,
शबे-फिराक आयी है , गम ये साथ लायी है,
पर खुश हूँ सोच कर ,कि अब आजाद हूँ मैं ,

रूसवाइयाँ तेरी ये सहते-सहते ,
ढलां हूँ इस कदर,
जैसे मकां कोई बचा हो बाढ़ मे रहते-रहते ,

शनिवार, 1 सितंबर 2018

गरज



गरज
जाने कहाँ गये वो दिन, कहते थे तेरी छाव मे जीवन को हम बितायेंगे,
ना छोडेंगे यूँ साथ तेरा, साथ चलते जायेंगे,
जिस रहा चलोगे तुम हमसफर बन जायेंगे ,

फिर आज क्यूँ अकेला चल रहा हूँ मैं,
जीवन की तपन सहे घुट के मर रहा हूँ मैं ,
सदी सा ये दिन लगे , रात सर्द लग रही क्यूँ ,
क्यूँ लगे पहाड सा, ये रास्ता उजाड सा,
पैर थक रहे है क्यूँ , छाले पड रहे है क्यूँ ,