ग़ज़ल लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
ग़ज़ल लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

मंगलवार, 27 फ़रवरी 2024

एक बार फिर से

झांका हूँ जब-जब मैं दिल की गहराइयों में,

तेरा ही अक्श उभरता रहा है,

नयनो से तेरी ये जो बहता है पानी,

दिल में मेरे यूँ अखरता रहा है,,

जीने ना देती यें भीगी सी पलकें,

शुक्रवार, 4 अगस्त 2023

तेरे शहर में...

मुहब्बत का पैगाम पसंद है,

तेरे शहर में,

आज-कल हवा कुछ बदली बदली है,

शायद...

अफवाहों का बाजार गर्म है,

तेरे शहर में,


कुछ मेहमां आए थे चंद रोज़ के लिए,

जाते ही नहीं...

मंगलवार, 25 जनवरी 2022

वो रेशमी छांव थी

वो रेशमी छांव थी या एक तड़प में हंसी,

जिंदगी का ये मौसम बदल-बदल सा गया,

आज फिर से थे वो मेरे आमने-सामने,

दिल ये थम सा गया फिर मचल ही गया,

वो रेशमी छांव... 

सोमवार, 10 जनवरी 2022

जाहिल

 

जाहिल था, 

दिए उनके जहर को ,अमृत समझ कर पी गया,

जर्रा-जर्रा करके बिखरा हूँ पतझड़ की तरहा ,

मासूमियत उनकी -

बोले, जालिम क्या खूब जिंदगी जी गया,

दर्द को क्या समझेंगे मेरे ,वो फूलों पर चलने वाले,

एक कांटा क्या लगा ,

जख्मों को कोई आंसू के मरहम से सी गया,

रविवार, 26 दिसंबर 2021

लहू

गर्दिश में, हीरा भी धूल हो गया,

मौसम क्या बदला ,चूर-चूर हो गया,

राहगीर पूछते रहे बेताबी में ,पता उसका,

वह कभी मकां था, जो अब ख़राबा हो गया,


एक दरिया लड़ता रहा, रवानी को उम्र भर,

रविवार, 21 नवंबर 2021

भूल गए

आपस में है प्यार बहुत, 

बस प्यार जताना भूल गए,

चाह बहुत संग जीने की ,

बस साथ निभाना भूल गए,


आह एक अकुलाई सी,

जब देखी आँख पथराई सी,

एक टीस उठी जब चोट लगी, 

बस दर्द बताना भूल गए,

गुरुवार, 11 नवंबर 2021

ग़र अज़ीज हो मेरे

 

रात घटाएँ आई थी घिरकर, 

हँवाओ मे अज़ब शोर था ।

वो आकर लौट गए दर से मेरे,

हम समझे कि कोई ओर था।

अफ़साना बन भी जाता कोई, 

कुछ मेरी बेख्याली शायद, 

कुछ रुसवाई का दौर था।।

सोमवार, 2 अगस्त 2021

अंदाज

 इस अंदाज से आँखे मिलाकर, पलकें झुका ली उसने,

हम बेजान से रह गए, रुह बाकी थी वो भी चुरा ली उसने,

दीदार को उसके नयन,भटकते रहे दर-बदर,

एक निशानी थी उसकी,वो भी छुपा ली उसने,

सोमवार, 26 जुलाई 2021

फरेबी पर्दा

आओ तुम्हे यूँ मजबूर कर दूँ , 

दिल खोलकर रख दूँ या चूर-चूर कर दूँ ,

ले जाओ छाँटकर , हिस्सा जो तुम्हारा है,

तुम्हारी बेख्याली मे भी तुम्हे मशहूर कर दूँ।

बुधवार, 19 मई 2021

गुजरा ज़माना

 क्या याद नहीं तुमको , वो गुजरा ज़माना ,

वो बाते मोहब्बत की, वो अपना अफ़साना,

आँखों ही आँखों मे दिन यूँ गुज़रते थे ,

लब कुछ कहने को रुकते थे, सम्हलते थे ,

वो आहों की गर्मी, वो ख्वाबों में बिखर जाना, 

सोमवार, 22 अक्तूबर 2018

महफ़िल मे नाम ना उछालो यूँ

महफ़िल मे नाम ना उछालो यूँ ,
इसां हूँ ,इसां ही रहने दो , 
शोहरत अकेला कर देती ,
गुमनाम हूँ ,गुमनाम ही रहने दो ,

छलकता मय का प्याला ,
छींटे उड़ा ना गैरो पर ,

मंगलवार, 18 सितंबर 2018

सजदा किया करो

फिरका-परस्ती फैली है माहौल मे,

सम्हल कर रहा करो ,

खंजर है हर हाथ मे ,

बच के चला करो,

शुक्रवार, 14 सितंबर 2018

मुख़्तसर कहो इकरार क्या है


      • मुख़्तसर कहो इकरार क्या है
मुख़्तसर कहो इकरार क्या है?

फकीर की फकीरी का कीमतें-बाजार क्या है?

बदलने से जुब्बा-ओ दस्तार ख्यालात नहीं बदलते,

मसनद मिले भी तो क्या हालात नहीं बदलते ,

भटकते रहो दर बदर , भटको !

बच के निकल जाने से सवालात नहीं बदलते ,


बुधवार, 12 सितंबर 2018

दिल थाम कर बैठो

      • दिल थाम कर बैठो            

दिल थाम कर बैठो ,
अभी भयानक मंजर कहाँ देखा है ,
बहता रक्त का झरना ,
वो लाल समंदर  कहाँ देखा है,
बरसता ये जो पानी है
भीगना ना तुम इसमें ,
अभी तुमने बारिश मे उठता,
तेजाब का बवंडर कहाँ देखा है,

बुधवार, 5 सितंबर 2018

हैरान हूँ मैं, परेशान हूँ मैं

हैरान हूँ मैं , परेशान हूँ मैं,
दर्द को शब्द कहाँ से दूँ , बेजुबान हूँ मैं ,
शबे-फिराक आयी है , गम ये साथ लायी है,
पर खुश हूँ सोच कर ,कि अब आजाद हूँ मैं ,

रूसवाइयाँ तेरी ये सहते-सहते ,
ढलां हूँ इस कदर,
जैसे मकां कोई बचा हो बाढ़ मे रहते-रहते ,