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मंगलवार, 27 फ़रवरी 2024

एक बार फिर से

झांका हूँ जब-जब मैं दिल की गहराइयों में,

तेरा ही अक्श उभरता रहा है,

नयनो से तेरी ये जो बहता है पानी,

दिल में मेरे यूँ अखरता रहा है,,

जीने ना देती यें भीगी सी पलकें,

रविवार, 27 अगस्त 2023

भौतिक जगत

भौतिक जगत में उतर आए,

क्यों तुम प्रसिद्धि के पंख लगा कर? 

लौट चलो प्रकृति की तरफ,

पावन, सुलभ चरण बढ़ाकर। 

अलौकिक सौंदर्य खोज रहा,

तुम्हें पलकें बिछाकर। 

खो जाओ तुम भी उसमें, 

जीवन की चाह भुला कर।