मंगलवार, 25 जनवरी 2022

वो रेशमी छांव थी

वो रेशमी छांव थी या एक तड़प में हंसी,

जिंदगी का ये मौसम बदल-बदल सा गया,

आज फिर से थे वो मेरे आमने-सामने,

दिल ये थम सा गया फिर मचल ही गया,

वो रेशमी छांव... 

सीमा पर एक खड़ा प्रहरी

हाथ में हथियार लिए,

आंखों में अंगार लिए,

सीमा पर एक खड़ा प्रहरी,

दिल में भारत मां का प्यार लिए,

कहानी उसकी तुम्हें सुनाऊ,

सर्दी की थी रात भारी,

आंखों से बहवगे आंसू, 

दिल में फूटेगी की चिंगारी,

सोमवार, 10 जनवरी 2022

जाहिल

 

जाहिल था, 

दिए उनके जहर को ,अमृत समझ कर पी गया,

जर्रा-जर्रा करके बिखरा हूँ पतझड़ की तरहा ,

मासूमियत उनकी -

बोले, जालिम क्या खूब जिंदगी जी गया,

दर्द को क्या समझेंगे मेरे ,वो फूलों पर चलने वाले,

एक कांटा क्या लगा ,

जख्मों को कोई आंसू के मरहम से सी गया,