हैरान
हूँ मैं , परेशान हूँ मैं,
दर्द को
शब्द कहाँ से दूँ , बेजुबान हूँ मैं ,
शबे-फिराक आयी है , गम ये साथ लायी है,
पर खुश
हूँ सोच कर ,कि अब आजाद हूँ मैं ,
रूसवाइयाँ तेरी ये सहते-सहते ,
ढलां हूँ
इस कदर,
जैसे
मकां कोई बचा हो बाढ़ मे रहते-रहते ,