अज़ब हालात है मेरे ,
कि हालत बेजुबानी है,
मुस्कुराहट है चेहरे पर ,
तो आँखों मे क्यूँ पानी है ?
रिमझिम ये जो सावन की ,
ये सारी इनकी कारस्तानी है,
धमक इनकी सुनकर ,
धमक इनकी सुनकर ,
अपने-आप को रोकू मैं कैसे ?
चमक बिखरे जो इनकी तो ,
चमक बिखरे जो इनकी तो ,
याद उसकी भी आनी है ,
जमीं क्यूँ थरथराती है ,
जमीं क्यूँ थरथराती है ,
हवा मे शोर है कैसा ?
गज़ब क्यूँ है ये बेचैनी ,
गज़ब क्यूँ है ये बेचैनी ,
अज़ब माहौल है कैसा ?
सांसे जम सी जाती है ,
सांसे जम सी जाती है ,
क्यूँ भरी जवानी मे?
मिलन क्यूँ नहीं होता है ,
मिलन क्यूँ नहीं होता है ,
किसी भी प्रेम-कहानी मे ?
हृदय को तौल बैठा हूँ ,
हृदय को तौल बैठा हूँ ,
मैं दुनिया की तराजू मे,
अब देखो जीत है किसकी ,
अब देखो जीत है किसकी ,
या मात मुझको अब खानी है ,
यूँ होकर पत्थर-दिल कैसे ,
यूँ होकर पत्थर-दिल कैसे ,
मैं उससे रिस्ता तोड़ कर आया ,
कि तोडा दिल उसका यूँ ,
कि तोडा दिल उसका यूँ ,
मैं राहें मोड़ कर आया,
अब तक याद है मुझको,
अब तक याद है मुझको,
उसका खिलखिलाता मासूम सा चेहरा ,
कैसे आखरी मर्तबा उसपर,
कैसे आखरी मर्तबा उसपर,
मैं आंसू छोड़ कर आया,
हाथ यूँ कपकपायें थे ,
हाथ यूँ कपकपायें थे ,
झील उतरी थी आँखों मे ,
लब यूँ थरथराये थे ,
लब यूँ थरथराये थे ,
सांस उलझी थी सांसो मे।
सुधबुध खोकर वो मुझसे ,
सुधबुध खोकर वो मुझसे ,
आकर यूँ थी लिपटी,
चूमे गाल थे उसने ,
चूमे गाल थे उसने ,
कि पलकें यूँ भिगोई थी
टुटा बांध हो कोई ,
टुटा बांध हो कोई ,
या बरसता हो कोई झरना ,
आज बरसे ये बदल जो ,
आज बरसे ये बदल जो ,
तो नींद मुझको ना आनी है ,
सांसो मे है उसकी जो गर्मी ,
सांसो मे है उसकी जो गर्मी ,
वो गर्मी अब ना जानी है,
दिल थाम कर बैठा हूँ,
अब इसी उम्मीद मे,
कि एक दिन आएगा ऐसा ,
कि एक दिन आएगा ऐसा ,
ये धरती थम सी जाएगी ,
ये सूरज मंद भी होगा ,
ये सूरज मंद भी होगा ,
ये श्रष्टी जम सी जाएगी ,
उठेगी लहर सागर मे ,
उठेगी लहर सागर मे ,
ये चन्द्रमा तप्त भी होगा ,
छूटगी ज्वार की धारा ,
छूटगी ज्वार की धारा ,
ये तारे बुझ से जाएंगे,
नए नियम होंगे सब ,
नया ज़हान ये होगा ,
टूटेंगे बंधन ये सारे ,
नया आसमान ये होगा,
नई होगी ये फिजा ,
कि भवरे गीत गाएंगे,
यहां नहीं तो वहां ,
दो प्रेमी आखिर मिल ही जायँगे,,,
*** अंकित चौधरी ***
बेहतरीन रचना
जवाब देंहटाएंआदरणीय धन्य्वाद सादर...
हटाएंबहुत ही सुन्दर और भावपूर्ण रचना 🙏
जवाब देंहटाएंआदरणीय धन्य्वाद सादर...
हटाएंबहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंआदरणीय सादर धन्यवाद ..
हटाएंआपकी लिखी रचना आज "पांच लिंकों का आनन्द में" बुधवार 3 अक्टूबर 2018 को साझा की गई है......... http://halchalwith5links.blogspot.in/ पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएं.
आदरणीय मेरी रचना को सम्मान देने के लिए सादर धन्यवाद..
हटाएंबहुत ही खूबसूरत छन्द बुने हैं इस लाजवाब रचना के ... प्रेम जैसे छलक छलक रहा है हर पंक्ति से ... बेहतरीन रचना ...
जवाब देंहटाएंआदरणीय रचना सराहने के लिए आभार ,जीवन का मूल सार ही प्रेम है...
हटाएंअंकित जी
जवाब देंहटाएंआपका साहित्य सृजन अत्यंत खुबसुरत है.
मन मोह लेता है.
आपके ब्लॉग पर पहली बार आना हुआ और वाकई ख़ुशी हुई इतनी सुंदर रचना पढकर. लिखते रहिये.
समय मिले तो आइयेगा मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत रहेगा: रंगसाज़
सर्वप्रथम आपका स्वागत है,रचनाएँ पसंद करने के लिए आभार...
हटाएंबहुत ही सुन्दर रचना 👌
जवाब देंहटाएंआदरणीय सादर धन्यवाद ...
हटाएंबहुत सुंदर भाव पिरोया है आपने अंकित जी।
जवाब देंहटाएंसुंदर सृजन की बधाई स्वीकार करें।
आदरणीय धन्य्वाद सादर...
हटाएंबहुत ही उम्दा लेखन,हृदयस्पर्शी रचना ।
जवाब देंहटाएंआदरणीय धन्य्वाद सादर...
हटाएंबहुत ही भावपूर्ण एवं हृदयस्पर्शी रचना....
जवाब देंहटाएंआदरणीय धन्य्वाद सादर...
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