हाय ! नारी तेरी यही कहानी ,
चेहरे पर हँसी , नयनो मे पानी,
कर करे सहज ही वंदन ,
हृदय में टीस उठे ,
चेहरे पर हँसी , नयनो मे पानी,
कर करे सहज ही वंदन ,
हृदय में टीस उठे ,
सनातन करुण गान,
पौरुष जीवन मे ढूँढ रही,
पौरुष जीवन मे ढूँढ रही,
अपना छोटा सा पावन स्थान,
असहाय कुंती ! कर्ण-अर्जुन मे,
असहाय कुंती ! कर्ण-अर्जुन मे,
अपनी ममता को
मोल रही ,
हाय ! क्या विकट स्थिति ,
हाय ! क्या विकट स्थिति ,
पन्ना लाल अपने को शमशीर की धार पर तोल रही,
जग कहे माता सारा -
फिर क्यों सीता अग्नि -परीक्षा को झेल रही,
जग कहे माता सारा -
फिर क्यों सीता अग्नि -परीक्षा को झेल रही,
अज़ब समाज ,गज़ब नज़ारे ,
सब गूंगे, बहरे ,
सब गूंगे, बहरे ,
नारी व्यथा को कौन विचारे ?
जो हार बैठा स्वाभिमान ,
जो हार बैठा स्वाभिमान ,
भला वो अब और क्या हारे ?
बिछी पड़ी अकर्मण्यता की शतरंज ,
मानवता हो रही शर्मसार बीच चौबारे,
युधिष्ठिर बन बैठा दुर्योधन ,
रोती द्रोपती सहायतार्थ किसे पुकारे ?
बिछी पड़ी अकर्मण्यता की शतरंज ,
मानवता हो रही शर्मसार बीच चौबारे,
युधिष्ठिर बन बैठा दुर्योधन ,
रोती द्रोपती सहायतार्थ किसे पुकारे ?
जाने कौन सा जहां होगा वो ,
जहा गिरती है सुखद फुहारे
?
हाय ! क्या कलयुग आया ,
हाय ! क्या कलयुग आया ,
अब
तो आहें भरे है वक्त के धारे,
क्यों पूत की बांध कर झोली,
क्यों पूत की बांध कर झोली,
कोई रानी घोडा रण
में उतारे ?
क्यों भक्ति मे भी मीरा ,
करके विषपान जान हारे ?
क्यों चारों ओर,
क्यों चारों ओर,
दरिंदगी घिनौना खेल खेले है ?
क्यों छ: साल की मासूम ,
क्यों छ: साल की मासूम ,
दुष्कर्म का दंश झेले हैं ?
क्यों है शांत ,
क्यों है शांत ,
अपने को पुरुष कहकर करने वाले
गुनगान ?
क्या गिरता नहीं पढ़ कर,
क्या गिरता नहीं पढ़ कर,
कतरन अखबारों की नित अभिमान ?
पानी क्यों हुई उबलती रक्त की धारे ?
अब तो बहने दो कही से बदलाव की बयारे,
झुठलाकर माँ के दूध की कहावत ,
कैसे निकलोगे जग मे ,
पानी क्यों हुई उबलती रक्त की धारे ?
अब तो बहने दो कही से बदलाव की बयारे,
झुठलाकर माँ के दूध की कहावत ,
कैसे निकलोगे जग मे ,
ये भारी कलंक सर पर धारे ?
बहना मांग रही है कीमत ,
बहना मांग रही है कीमत ,
राखी के मान की ,
बूढी माँ देख रही है राह,
बूढी माँ देख रही है राह,
बेटों से
नारी के सम्मान की,
*** अंकित चौधरी ***
हृदयस्पर्शी रचना आदरणीय
जवाब देंहटाएंआदरणीय सादर धन्यवाद...
हटाएंबहुत खूब
जवाब देंहटाएंआदरणीय सादर धन्यवाद...
हटाएंवाह !!!बहुत सुन्दर रचना।
जवाब देंहटाएंआदरणीय सादर धन्यवाद...
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