महफ़िल मे नाम ना उछालो यूँ ,
इसां हूँ ,इसां ही रहने दो ,
शोहरत अकेला कर देती ,
गुमनाम हूँ ,गुमनाम ही रहने दो ,
इसां हूँ ,इसां ही रहने दो ,
शोहरत अकेला कर देती ,
गुमनाम हूँ ,गुमनाम ही रहने दो ,
छलकता मय का प्याला ,
छींटे उड़ा ना गैरो पर ,
डर लगता शराफत से मुझको ,
शराफत का समां है जोरो पर ,
अब तो आँखें भी छलक उठीं मेरी ,
ये पीड़ा अब मुझको सहने दो,
बदनाम हूँ , बदनाम ही रहने दो,
बस अपनी खबर नहीं मुझको ,
खबर रखता ज़माने की सारी ,
टकराता पर्वत से यूँ ही ,
है वीरानों से अपनी यारी ,
बहता दरिया हूँ , मत रोको मुझे ,
बहता हूँ बस , यूँ ही बहने दो ,
अब तो ना रोको मुझको यूँ ,
जो कहनी है बात वो कहने दो,
पत्थरों से चिनवाओ मुझे ,
या ज़र्जर मकां सा ढहने दो ,
इश्क ख़ता है गर मेरी ,
तो मुझको सज़ा मे रहने दो ,
गर बर्बादी तकदीर मेरी ,
जो सहता हूँ ,वो सहने दो ,
ओरो से क्या लेना मुझको ,
जो कहता है वो ,उसे कहने दो,
दिल पर ना लेना बातों को,
बातों में घुमाव जरा रहने दो,
मत घेरो दुनियादारी मे,
अनजान हूँ ,अनजान ही रहने दो!!!
***अंकित चौधरी ***
ओरो से क्या लेना मुझको ,
जो कहता है वो ,उसे कहने दो,
दिल पर ना लेना बातों को,
बातों में घुमाव जरा रहने दो,
मत घेरो दुनियादारी मे,
अनजान हूँ ,अनजान ही रहने दो!!!
***अंकित चौधरी ***
धन्यवाद आदरणीय सादर...
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर और भावपूर्ण रचना 🙏
जवाब देंहटाएंधन्यवाद सादर...
हटाएंधन्यवाद आदरणीय सादर...
जवाब देंहटाएंधन्यवाद सादर...
जवाब देंहटाएंधन्यवाद सादर...
जवाब देंहटाएंभावपूर्ण अभिव्यक्ति , अति सुंदर सृजन ।
जवाब देंहटाएंआभार आपका ...
हटाएंबहुत ही सुन्दर 👌
जवाब देंहटाएंधन्यवाद सादर...
हटाएंधन्यवाद सादर...
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