सोमवार, 2 अगस्त 2021

अंदाज

 इस अंदाज से आँखे मिलाकर, पलकें झुका ली उसने,

हम बेजान से रह गए, रुह बाकी थी वो भी चुरा ली उसने,

दीदार को उसके नयन,भटकते रहे दर-बदर,

एक निशानी थी उसकी,वो भी छुपा ली उसने,


गर्म कहकशां में ,भाप बनाकर उडा दिए आँसू,

जाते हुए रुककर, बरसती आँखों से सारी बात बता दी उसने,


एक वो दौर था जब पहली बार दीदार-ए-यार हुआ था,

एक ये आखिरी लम्हा कि सारी किस्त चुका दी उसने,


लंबी फहरिस्त बाकी थी तमन्नाओ की अभी,

वो जल्दी मे थे कि आखिरी पन्ने पर जिल्द सज़ा दी उसने,


करम हुआ था उनका हम पर ए दोस्त कुछ इस कदर, 

सादगी उसकी ,ख़ता सारी हमारी बता दी उसने,


              ***अंकित चौधरी***

https://youtu.be/B3Kgftzyl8g

5 टिप्‍पणियां: