शनिवार, 13 अक्तूबर 2018

बिरहा की अग्नि मे जलता मेरा मन


बिरहा की अग्नि मे जलता मेरा मन ,
ये ना बुझी है , ये ना बुझेगी ,
सांसो की लड़ियाँ जो टूटी सी है ,
ये ना जुडी है ये न जुड़ेगी ,

बुधवार, 10 अक्तूबर 2018

मक़ाम-ए-इश्क़


इश्क़ मे देखते - देखते क्या मक़ाम आया ,
बैठे थे सजदे मे ,और जुबां पर तेरा नाम आया,
यूँ तो मरने की चाह ना थी मेरी,
देख तेरे हाथों में खंजर ,मरने का हसीं ख्याल आया,

शुक्रवार, 5 अक्तूबर 2018

खाली तस्वीरे

चमक बिखरी है महफिल मे,
चाँद सितारे  दामन मे बिखरे क्या ?
गज़ब अंदाज है अदाओ मे,
सीधे जन्नत से उतरे क्या ?
अजब सा दर्द है सीने मे,
सीधे दिल से गुजरे क्या ?

सोमवार, 1 अक्तूबर 2018

अज़ब हालात है मेरे

अज़ब हालात है मेरे ,
कि हालत बेजुबानी है,
मुस्कुराहट है चेहरे पर , 
तो आँखों मे क्यूँ पानी है ?

रिमझिम ये जो सावन की , 
बरसता ये जो पानी है,
बादल यूँ जो है ग़रजे ,

गुरुवार, 27 सितंबर 2018

नारी तेरी यही कहानी


हाय नारी तेरी यही कहानी ,
चेहरे पर हँसी नयनो मे पानी,   
कर करे सहज ही वंदन ,
हृदय में टीस उठे ,
हिया करे करुण क्रंदन,

सोमवार, 24 सितंबर 2018

झील के किनारे


मैं जा रहा था
उस दिन शाम के समय टहलता ,
कुछ सोचता हुआ ,
उस झील के किनारे -किनारे,
सोच रहा था,
जिंदगी के फलसफे के बारे मे,

जो अपनी इच्छा से नचाता है
इंसान को  कठपुतली बनाता है ,
कभी  हसाता है , 
कभी रुलाता है ,

शनिवार, 22 सितंबर 2018

ग़र अज़ीज हो मेरे



रात घटाए आई थी घिर कर ,
हवाओं  मे अजब शोर था,
वो आकर लौट गए दर से मेरे ,
हम समझे के कोई और था ,
अफसाना बन भी जाता कोई,
कुछ मेरी बेख्याली ,
कुछ शायद रुसवाई का दौर था।