- दिल थाम कर बैठो
दिल थाम कर बैठो ,
अभी भयानक मंजर कहाँ देखा है ,
बहता रक्त का झरना ,
बहता रक्त का झरना ,
वो लाल समंदर कहाँ देखा है,
बरसता ये जो पानी
है,
भीगना ना तुम इसमें ,
अभी तुमने बारिश
मे उठता,
तेजाब का बवंडर कहाँ देखा है,
बात पर बिगडो मत
यूँ मेरी,
होश संभाल भी लो अब अपने ,
प्यार देखा है बस ,
अभी उसके हाथ का छुपा खंजर कहाँ देखा है,
चेहरे पर मत जाना,
ये चेहरे धोका देते है ,
नयनो की धार तेज
है,
कि फिर ये कहाँ मौका देते
है,
रंगीन मुखोटे ओढ़े
है,
छूना ना तुम इनको,
मत सोना लहराती
जुल्फ़ो के साये मे ,
ये जहरीली हवाॅ का
झोका देते है,
दिलकस , लरजते से
लब जो है,
समझते पैमाना हो जिनको ,
तलबगार ना होना इनका
,
विष भरे प्याले है ये ,
झूमते देखे बहुत
होंगे ,
अभी पीकर इनको मरते हुए
लोग कहाँ देखे है,
*** अंकित चौधरी ***
सुंदर रचना ।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत बधाई इस रचना के लिए।
बहुत बहुत धन्यवाद!
हटाएंबहुत बढिया..
जवाब देंहटाएंthanks.
हटाएंचेहरे पर मत जाना ये चेहरे धोका देते है वाह बहुत सुंदर रचना 👌👌
जवाब देंहटाएंधन्यवाद अनुराधा चौहान जी.
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