बुधवार, 12 सितंबर 2018

दिल थाम कर बैठो

      • दिल थाम कर बैठो            

दिल थाम कर बैठो ,
अभी भयानक मंजर कहाँ देखा है ,
बहता रक्त का झरना ,
वो लाल समंदर  कहाँ देखा है,
बरसता ये जो पानी है
भीगना ना तुम इसमें ,
अभी तुमने बारिश मे उठता,
तेजाब का बवंडर कहाँ देखा है,

बात पर बिगडो मत यूँ मेरी
होश संभाल भी लो अब अपने ,
प्यार देखा है बस 
अभी उसके हाथ का छुपा खंजर कहाँ देखा है,

चेहरे पर मत जाना,
 ये चेहरे धोका देते  है ,
नयनो की धार तेज है
कि फिर ये कहाँ मौका देते है,
रंगीन मुखोटे ओढ़े है,
छूना ना तुम इनको,
मत सोना लहराती जुल्फ़ो के साये मे ,
ये जहरीली हवाॅ का झोका देते है,

दिलकस , लरजते से लब जो है
समझते पैमाना हो जिनको ,
तलबगार ना होना इनका
विष भरे प्याले है ये ,
झूमते देखे बहुत होंगे
अभी पीकर इनको मरते हुए लोग कहाँ देखे है,

*** अंकित चौधरी ***

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