सोमवार, 24 सितंबर 2018

झील के किनारे


मैं जा रहा था
उस दिन शाम के समय टहलता ,
कुछ सोचता हुआ ,
उस झील के किनारे -किनारे,
सोच रहा था,
जिंदगी के फलसफे के बारे मे,

जो अपनी इच्छा से नचाता है
इंसान को  कठपुतली बनाता है ,
कभी  हसाता है , 
कभी रुलाता है ,
फिर देखो इत्तफाक उसे जरूर बिछड़वाता है।
जब इंसान होता है खुशी के चरम पर ,
होती है हर तरफ ख़ुशी ही ख़ुशी ,
उसी समय कुछ हाथ कांपते है ,
हिलते है ,अचानक ! 
और वह कठपुतली हो जाती है उदास ,
दर्द से बेहाल ,
सोच रहा था मैं•••

क्या जरुरी होता है ,
उसी समय यह सब करना ,
क्यों कोई हर समय खुश नहीं रह सकता ,
कौन ताकत है वह ,
जो है इन कठपुतलियो का चालक ,
चलाता है , अपनी मर्जी  से इन्हे ,
क्यों होता है वह इस झील के पानी की तरह ,
जो हो गया है साइबेरियन हवाओ से इतना -इतना सर्द,
कि जमा दे किसी को भी,
सोच रहा था •••

कौन होगा इसके पीछे ?
दिल ने कहा शायद -भगवान,
फिर दिमाग ने की खुराफात,
किया तर्क पर वितर्क ,

क्या होता होगा ,
भगवान पर भी साइबेरियन हवाओ का असर ,
जो हो जाता है वह भी इतना सर्द,
जो जमा दे किसी भी जिंदगी को ,
बना दे उसे बर्फ ,
गम का , दुःख का सागर,
क्या भगवान भी इतना कमजोर हो सकता है ?
जिस पर हो जाता है ,
किसी का भी असर,
सोच रहा था मै ,
झील के किनारे -किनारे,,,
  
   *** अंकित चौधरी ***

      


21 टिप्‍पणियां:

  1. जब इंसान होता है खुशी के चरम पर ,
    होती है हर तरफ ख़ुशी ही ख़ुशी ,
    उसी समय कुछ हाथ कांपते है ,
    हिलते है अचानक और वह कठपुतली हो जाती है उदास , दर्द से बेहाल , भावपूर्ण रचना

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  2. भावप्रवण रचना... बहुत सुंदर....

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  3. प्रिय अंकित जी - बहुत अच्छा लिखा ही आपने |ईश्वर का ये फलसफ़ा आज तक अनुत्तरित है और सदैव रहेगा | शायद ये रहस्य ही जीवन का सबसे बड़ा रोमांच है | अव्यक्त की खोज ही जीवन में जीवटता पैदा करती है | पहली बार आपके ब्लॉग पर आई -- अच्छा लगा आकर | हार्दिक शुभकामनायें स्वीकार हों |

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  4. सर्वप्रथम स्वागत है आपका और सही कहा आपने शायद रहस्य बरकरार रहना सही है। अंत मे साभार धन्यवाद...

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  5. वाह बहुत खूब।

    सवालो और संवेदनाओ को क्या खूब गुथा हैं

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  6. जो घुमाता है सब को ... उसको कौन क्या कर सकता है ...
    सर्द हवाएं क्या कर सकती हैं ....

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  7. जिज्ञासा के साथ सुंदर रचना, भावों का अनवरत मंथन और अनुत्तरित प्रश्न।
    अप्रतिम।

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  8. बहुत खूब .जाने क्या क्या कह डाला इन चंद पंक्तियों में बहुत अच्छा लिखा

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