शुक्रवार, 5 अक्तूबर 2018

खाली तस्वीरे

चमक बिखरी है महफिल मे,
चाँद सितारे  दामन मे बिखरे क्या ?
गज़ब अंदाज है अदाओ मे,
सीधे जन्नत से उतरे क्या ?
अजब सा दर्द है सीने मे,
सीधे दिल से गुजरे क्या ?


सौदा कर भी ले नींदो का ,
बगावत ख्वाब करते है,
तजुर्बा कोई न करना ,
ये तबियत नासाज़ करते है,
उड़ना है तो उड़ो ऊंचा,
ये खता ख़ास करते है,
जुम्बिश करके तो देखो ,
चांदनी बरसेगी झरनो से,
ताज रखकर ताको पर,
निकले जो ज़माने मे,
गज़ब वो लोग होते है,
हौसले खास रखते है, 

सहमे से क्यूँ हो ,
जैसे क़यामत पास आती है ,
तुम काफ़िये मे उलझे हो ,
जान हर्फो मे जाती है,
गिरह खोल भी दो दिल की ,
रूह अब आजाद होने दो ,
जानी हो जाने दो हमको ,
जाम अश्को का पीने दो ,
अभी ना होश मे लाओ ,
जरा कुछ और खोने दो ,

ये आवाज कैसी है ? 
टुकड़े दिल के बिखरे क्या ?
याद फिरसे कुछ आया है ,
गली उसकी से गुजरे क्या ?

हम जुर्रत कर भी दे कोई ,
वो तसव्वुर मे खोए है ,
तसव्वुफ़ साफ झलकता है ,
खाली तस्वीरों से ,
बदलते चेहरे देख कर ,
आइने रोज फिसलते है ,
हम उम्मीदों पर कायम है ,
वो पहलू रोज बदलते है ,

ये परछाइयाँ है गहरी,
अश्क छुप जाएंगे इनमे ,
ये जो अब्र बरसते है,
यादे धुल जाएगी इनमे ,

उलझन उलझी अच्छी है ,
सुलझाने मे रक्खा क्या ?
छोड़ो बे सर-पैर की बाते,
बातो मे रक्खा क्या ?

      
  *** अंकित चौधरी ***





14 टिप्‍पणियां:

  1. ताज रखकर ताको पर निकले जो ज़माने मे,
    गजब वो लोग होते है,हौसले खास रखते है।

    बहुत शानदार बात कही है अंकित जी

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  2. भाव गाम्भीर्य से ओतप्रोत रचना ज़िदगी की उथल -पुथल के बहुआयामी रंग अभिव्यक्त करती है.
    सुंदर रचना.
    बधाई एवं शुभकामनाएं.

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    1. ब्लॉग पर स्वागत है आपका। उत्साह वर्धन के लिए आभार ...

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  3. सौदा कर भी ले नींदो का ,बगावत ख्वाब करते है,
    इस पथिक को आपकी यह पंक्ति भा गयी,सुंदर रचना है

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  4. सर्वप्रथम आपका हार्दिक स्वागत ,व उत्साह वर्धन के लिए सादर आभार ...

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  5. बहुत खूब ...
    भावनाओं का उतार चढ़ाव बाखूबी बाँधा है इस रचना में ... अनेक प्रश्न और उनका जवाब ढूंढती सचाई की दास्ताँ ...

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