shayarikhanidilse
शायरी,गज़ल, कविता,कहानी,poetry writing
सोमवार, 24 सितंबर 2018
झील के किनारे
मैं जा रहा था
,
उस दिन शाम के समय टहलता
,
कुछ सोचता हुआ
,
उस झील के किनारे -किनारे,
सोच रहा था,
जिंदगी के फलसफे के बारे मे
,
जो अपनी इच्छा से नचाता है
,
इंसान को
कठपुतली बनाता है
,
कभी
हसाता है ,
कभी रुलाता है
,
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शनिवार, 22 सितंबर 2018
ग़र अज़ीज हो मेरे
रात घटाए आई थी घिर कर
,
हवाओं
मे अजब शोर था
,
वो आकर लौट गए दर से मेरे
,
हम समझे के कोई और था
,
अफसाना बन भी जाता कोई
,
कुछ मेरी बेख्याली
,
कुछ शायद रुसवाई का दौर था।
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गुरुवार, 20 सितंबर 2018
ग़र हो इजाजत
ग़र हो इजाजत तो रुखसत से पहले,
मैं दिल को यूँ खोलू ,
कि पलकें भिगोलू ,
लबो पर जो तेरी,
ये
जो
तन्हाइयाँ है
,
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मंगलवार, 18 सितंबर 2018
सजदा किया करो
फिरका-परस्ती फैली है माहौल मे
,
सम्हल कर रहा करो
,
खंजर है हर हाथ मे
,
बच के चला करो,
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शुक्रवार, 14 सितंबर 2018
मुख़्तसर कहो इकरार क्या है
मुख़्तसर कहो इकरार क्या है
मुख़्तसर कहो इकरार क्या है
?
फकीर की फकीरी का कीमतें-बाजार क्या है
?
बदलने से जुब्बा-ओ दस्तार ख्यालात नहीं बदलते
,
मसनद मिले भी तो क्या हालात नहीं बदलते ,
भटकते
रहो दर बदर
,
भटको !
बच के निकल जाने से सवालात नहीं बदलते ,
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बुधवार, 12 सितंबर 2018
दिल थाम कर बैठो
दिल थाम कर बैठो
दिल थाम कर बैठो ,
अभी भयानक मंजर कहाँ देखा है ,
बहता रक्त का झरना ,
वो लाल समंदर कहाँ देखा है,
बरसता ये जो पानी है
,
भीगना ना तुम इसमें ,
अभी तुमने बारिश मे उठता,
तेजाब का बवंडर कहाँ देखा है,
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बुधवार, 5 सितंबर 2018
हैरान हूँ मैं, परेशान हूँ मैं
हैरान हूँ मैं , परेशान हूँ मैं,
दर्द को शब्द कहाँ से दूँ , बेजुबान हूँ मैं ,
शबे-फिराक आयी है , गम ये साथ लायी है
,
पर खुश हूँ सोच कर ,कि अब आजाद हूँ मैं ,
रूसवाइयाँ तेरी ये सहते-सहते ,
ढलां हूँ इस कदर,
जैसे मकां कोई बचा हो बाढ़ मे रहते-रहते ,
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