शुक्रवार, 14 सितंबर 2018

मुख़्तसर कहो इकरार क्या है


      • मुख़्तसर कहो इकरार क्या है
मुख़्तसर कहो इकरार क्या है?

फकीर की फकीरी का कीमतें-बाजार क्या है?

बदलने से जुब्बा-ओ दस्तार ख्यालात नहीं बदलते,

मसनद मिले भी तो क्या हालात नहीं बदलते ,

भटकते रहो दर बदर , भटको !

बच के निकल जाने से सवालात नहीं बदलते ,



तजकिरा है , कि खामोशी ओढ़ ली मैने,

लरजती है चाल अब ,कि शराफत छोड़ दी मैने,

फैलने से अफवाहों के , सुरत-ए-हाल नहीं बदलते ,

निकला हूँ सफर पर तो, दूर तक जाऊंगा ,

मोकापरस्ती की थी जो आदत , 
वो आदत छोड़ दी मैंने ,



असीर हूँ तेरा जो चाहे कर करम ,

सूली चढ़ा मुझे या कर दे मुझे दफन ,

सजा हो तो ऐसी हो दूर तक चले ख़बर ,

महताब भी रो दे आहें भरे शजर ,,,

     *** अंकित  चौधरी ***

shayarikhanidilse.blogspot.com/2018/09/blog-post.html

25 टिप्‍पणियां:

  1. मसनद मिले भी तो क्या हालात नहीं बदलते /
    भटकते रहो दर बदर , भटको !
    बच के निकल जाने से सवालात नहीं बदलते /
    .....बहुत खूब लिखा है आपने । बस यूँ ही लिखते रहें। शुभकामनाएं ।

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  2. आपकी लिखी रचना आज "पांच लिंकों का आनन्द में" बुधवार 19 सितंबर 2018 को साझा की गई है......... http://halchalwith5links.blogspot.in/ पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!



    .

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  3. निकला हु सफर पर तो दूर तक जाउगा ,

    मोकापरस्ती की थी जो आदत वो आदत छोड़ दी मैंने /
    बहुत सुन्दर....
    वाह!!!

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  4. बेहद उम्दा अश'आर हैं अंकित जी..
    बहुत सुंदर लेखन।
    बधाई स्वीकार करें और शुभच्छायें भी।

    कृपया ब्लॉग फॉलोवर बटन लगाइये ताकि आपकी नयी रचनाओं के बारे में आपके प्रशंसक जान सके।

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    उत्तर
    1. बहुत धन्यवाद पसंद करने के लिए और बहुमूल्य सुझाव के लिए

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    2. ब्लॉग फॉलोवर बटन लगा दिया गया है

      हटाएं
  5. बहुत सुंदर लेखन है आपका अंकित जी | सारे भाव बहुत मर्मस्पर्शी हैं |

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  6. दिल से दिल तक ही उतर गयी आपकी ये नज्म.
    वाह बेहतरीन.

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