- मुख़्तसर कहो इकरार क्या है
मुख़्तसर कहो
इकरार क्या है?
फकीर की फकीरी का
कीमतें-बाजार क्या है?
बदलने से
जुब्बा-ओ दस्तार ख्यालात नहीं बदलते,
मसनद मिले भी तो
क्या हालात नहीं बदलते ,
भटकते रहो दर बदर , भटको !
बच के निकल जाने
से सवालात नहीं बदलते ,
तजकिरा है , कि
खामोशी ओढ़ ली मैने,
लरजती है चाल अब ,कि शराफत छोड़ दी मैने,
फैलने से अफवाहों
के , सुरत-ए-हाल नहीं बदलते ,
निकला हूँ सफर पर
तो, दूर तक जाऊंगा ,
मोकापरस्ती की थी
जो आदत ,
वो आदत छोड़ दी मैंने ,
असीर हूँ तेरा , जो चाहे कर करम ,
सूली चढ़ा मुझे या
कर दे मुझे दफन ,
सजा हो तो ऐसी हो
, दूर तक चले ख़बर ,
महताब भी रो दे , आहें भरे शजर ,,,
*** अंकित चौधरी ***
वाह !!! बहुत उम्दा
जवाब देंहटाएंthanks a lot..
हटाएंमसनद मिले भी तो क्या हालात नहीं बदलते /
जवाब देंहटाएंभटकते रहो दर बदर , भटको !
बच के निकल जाने से सवालात नहीं बदलते /
.....बहुत खूब लिखा है आपने । बस यूँ ही लिखते रहें। शुभकामनाएं ।
हौसला बढ़ाने के लिए धन्यवाद.
हटाएंवाह संवेदनशील रचना
जवाब देंहटाएंधन्यवाद.
हटाएंवाह बहुत खूब 👌👌👌
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जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना आज "पांच लिंकों का आनन्द में" बुधवार 19 सितंबर 2018 को साझा की गई है......... http://halchalwith5links.blogspot.in/ पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
.
धन्यवाद और सम्मान के लिए आभार
हटाएंवाह
जवाब देंहटाएंबहुत ही खूब।मजा आ गया।
बहुत बहुत धन्यवाद
हटाएंनिकला हु सफर पर तो दूर तक जाउगा ,
जवाब देंहटाएंमोकापरस्ती की थी जो आदत वो आदत छोड़ दी मैंने /
बहुत सुन्दर....
वाह!!!
बहुत बहुत धन्यवाद
हटाएंबेहद उम्दा अश'आर हैं अंकित जी..
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर लेखन।
बधाई स्वीकार करें और शुभच्छायें भी।
कृपया ब्लॉग फॉलोवर बटन लगाइये ताकि आपकी नयी रचनाओं के बारे में आपके प्रशंसक जान सके।
बहुत धन्यवाद पसंद करने के लिए और बहुमूल्य सुझाव के लिए
हटाएंब्लॉग फॉलोवर बटन लगा दिया गया है
हटाएंबहुत उम्दा ... गज़ब के शेर सारे ...
जवाब देंहटाएंबहुत धन्यवाद
हटाएंबेहतरीन 👌 👌 👌 👌
जवाब देंहटाएंधन्यवाद आदरणीय
जवाब देंहटाएंसादर।
बहुत सुंदर लेखन है आपका अंकित जी | सारे भाव बहुत मर्मस्पर्शी हैं |
जवाब देंहटाएंबहुत धन्यवाद...
जवाब देंहटाएंदिल से दिल तक ही उतर गयी आपकी ये नज्म.
जवाब देंहटाएंवाह बेहतरीन.
आदरणीय सादर धन्यवाद...
जवाब देंहटाएंआदरणीय धन्य्वाद सादर...
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