रविवार, 21 नवंबर 2021

भूल गए

आपस में है प्यार बहुत, 

बस प्यार जताना भूल गए,

चाह बहुत संग जीने की ,

बस साथ निभाना भूल गए,


आह एक अकुलाई सी,

जब देखी आँख पथराई सी,

एक टीस उठी जब चोट लगी, 

बस दर्द बताना भूल गए,

गुरुवार, 11 नवंबर 2021

ग़र अज़ीज हो मेरे

 

रात घटाएँ आई थी घिरकर, 

हँवाओ मे अज़ब शोर था ।

वो आकर लौट गए दर से मेरे,

हम समझे कि कोई ओर था।

अफ़साना बन भी जाता कोई, 

कुछ मेरी बेख्याली शायद, 

कुछ रुसवाई का दौर था।।

सोमवार, 2 अगस्त 2021

अंदाज

 इस अंदाज से आँखे मिलाकर, पलकें झुका ली उसने,

हम बेजान से रह गए, रुह बाकी थी वो भी चुरा ली उसने,

दीदार को उसके नयन,भटकते रहे दर-बदर,

एक निशानी थी उसकी,वो भी छुपा ली उसने,

सोमवार, 26 जुलाई 2021

फरेबी पर्दा

आओ तुम्हे यूँ मजबूर कर दूँ , 

दिल खोलकर रख दूँ या चूर-चूर कर दूँ ,

ले जाओ छाँटकर , हिस्सा जो तुम्हारा है,

तुम्हारी बेख्याली मे भी तुम्हे मशहूर कर दूँ।

रविवार, 25 जुलाई 2021

जीवन

या जीवन का मोल बता,

या इसको फिर अनमोल बता, 

या तो इसको तौल बता,

 या राज फिर इसके खोल बता।

बुधवार, 19 मई 2021

गुजरा ज़माना

 क्या याद नहीं तुमको , वो गुजरा ज़माना ,

वो बाते मोहब्बत की, वो अपना अफ़साना,

आँखों ही आँखों मे दिन यूँ गुज़रते थे ,

लब कुछ कहने को रुकते थे, सम्हलते थे ,

वो आहों की गर्मी, वो ख्वाबों में बिखर जाना, 

मंगलवार, 23 फ़रवरी 2021

धरती पुत्र

                                                             

कल धरती माँ रोई होगी,

पलकें यूँ  भिगोई होगी।                       

देख अपने पुत्र की हालत,

जाने कैसे सोई होगी  ।          

सियासत का जब जोर चला,

अंधियारो का फिर शोर चला।      

शोषण की जब सरकार हुई ,

चाहु ओर हाहाकार हुई।

ग़र हक की माँगो , खाओ लाठी ,

क्यूँ व्यवस्था इतनी लाचार हुई।

जब लाठी चली बुजुर्ग के पैरो पर,